महाभारत काल में इसका नाम नाभिपुर था। यह एक व्यापारिक केंद्र था शासन के दस्तावेजों में इसका नाम मामा कदम है, नाभि कुंड पर प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग है। यहां भगवान गणेश जी ने भी तपस्या की थी। यहां गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित है।

जो नर्मदा नदी की दूरी 1321 किलोमीटर के बीचों बीच स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां नर्मदा के नाभि कुंड में स्नान करने से कई तरह की बीमारियों का नाश होता है। इस कुंड में नर्मदा जयंती के अलावा भी पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु का तांता लगा रहता है।

नाभि कुंड, मध्य प्रदेश के हंडिया तहसील में नर्मदा नदी के बीच बना एक कुंड है. यह कुंड पत्थर से बना है और नाभि के आकार का है. इस कुंड का जल धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टियों से पवित्र माना जाता है।
नाभि कुंड से जुड़ी कुछ खास बातें:
यह कुंड नर्मदा नदी के मध्य भाग में है.
यहां से नर्मदा के उद्गम और अंत की दूरी बराबर है.
कहा जाता है कि महाभारत काल में इसका नाम नाभिपुर था.
इस कुंड में प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग है.
मान्यता है कि यहां भगवान गणेश ने तपस्या की थी.
इस कुंड के उत्तर तट पर सिद्धनाथ मंदिर और दक्षिण तट पर रिद्धनाथ मंदिर है.
यहां के जल का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में फ़ायदेमंद माना जाता है.
इस कुंड से नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत की जाती है.
मध्यप्रदेश तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण ने इस कुंड को अनुमोदित तीर्थों की सूची में शामिल किया है.