*चेन्नेकेश्व मंदिर, बेलूर, कर्नाटक !*

यह उस समय का निर्माण है जब मनुष्य के पास कोई कम्प्यूटर नहीं था कोई ग्राफिक्स विज्ञान नहीं था सिर्फ छेनी हथौड़े, बस भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण था.!ऊपर चित्र में दिया हुआ यह मंदिर 900 वर्ष से भी अधिक पुराना चेन्नकेशव मंदिर – बैलूर कर्नाटक में स्थित हैं।

पत्थर पर अद्भुत मूर्तिकला और अविश्वसनीय नक्काशी देखकर कोई भी भारतीय अपने पूर्वजों पर गर्व किए बिना नहीं रह सकता हैं।मंदिर के निर्माण में सनातन का पूरा ध्यान रखा गया है जैसे सबसे नीचे हाथी (शक्ति का प्रतीक), फिर शेर (साहस का प्रतीक) और फिर घोड़ों पर योद्धा, फूल सजावट और सुंदरता नर्तकियों-कला और संस्कृति उकेरी गई हैं। इस मंदिर को तीन पीढ़ियों में बनाया गया था और इसे पूर्ण करने में 103 साल लगे थें।

लेकिन अपने इतिहास से अनभिज्ञ और अपने पूर्वजों की धरोहरों का तिरस्कार करने वाले कुछ स्वार्थी और चरण- चापन करने वाले अवसरवादियों का कहना है कि अंग्रेजों के भारत में आने से पहले यहां सुई भी नहीं बनती थीं।

इन लोगों को समझ में नहीं आता कि फिर इतनी उच्च कोटि की वास्तुकला वाले इस तरह के तमाम मंदिर आखिर हजार साल पहले एलियन ने बनाए थें क्या..??वास्तुशास्त्र सहित हमारे तमाम ग्रंथ फिर कौन लिख गया..??यह सनातन की खूबसूरती है जिसके खिले हुए फूलों की सुगंध आज तक फैल रही है पर इसको समाप्त करने के लिए नुकीले कांटों वाली विषबेल उग आई है उस कंटीली विषबेल की सफाई करना अब जरूरी हों गया हैं !

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