कर्मफलदाता व न्यायप्रिय देवता शनि देव की महिमा क्या है
हिंदू धर्म में शनि जयंती बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन भक्ति भाव से मनाई जाती हैं। शनि देव के अवतरण दिवस को ही उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता हैं।
शुभ संयोग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उनकी पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में अन्याय का सामना नहीं करना पड़ता है। वे कर्मों के आधार पर सभी के साथ न्याय करते हैं, इसलिए उन्हें कर्मफल दाता भी कहा जाता है।
शनि जयंती के दिन भगवान शनि की पूजा का विशेष महत्व है। इस बार शनि जयंती 27 मई मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन ज्येष्ठ अमावस्या (बड़मावस) भी है। इसके अतरिक्त इसी दिन वट सावित्री का पर्व भी मनाया जाएगा। ऐसे में इन विशेष तिथियों का एक साथ पड़ना बेहद ही शुभ संयोग माना जा रहा है, जिसके चलते शनि जयंती इस बार अपने आप में बेहद खास होने वाली है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान शनि देव का जन्म इसी दिन और सर्वाथ सिद्धि योग में ही हुआ था। ऐसे में शनि जयंती न्याय के देवता के जन्म का प्रतीक मानी जाती है।
कर्मफलदाता
शनि जयंती को लोग धार्मिक रूप से मनाते हैं तथा इस त्योहार में वे भगवान शनि की पूजा करते हैं। इस दिन लोग भगवान शनि को विभिन्न वस्तुएं अर्पित करते हैं। साथ ही इस त्योहार के दौरान कुछ लोग व्रत भी रखते हैं और भगवान शनि की उपासना करते हैं।
इसके साथ ही शाम के समय उनके समक्ष और पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। शनि दोष से मुक्ति और धन-समृद्धि प्राप्त करने लिए यह विशेष दिन है। शनि जिन्हें कर्मफलदाता माना जाता है, दंडाधिकारी कहा जाता है, न्यायप्रिय माना जाता है। जो अपनी दृष्टि से राजा को भी रंक बना सकते हैं।
हिंदू धर्म में शनि देवता भी हैं और नवग्रहों में प्रमुख ग्रह भी जिन्हें ज्योतिषशास्त्र में बहुत अधिक महत्व मिला है। शनिदेव को सूर्य का पुत्र माना जाता है।